प्राउड फील कराने वाली है फ़िल्म 'किरकेट' : देव सिंह
यूं तो 1983 की थीम पर इन दिनों बॉलीवुड की आने वाली दो फिल्में बेहद चर्चे में हैं, लेकिन एक और हिंदी फ़िल्म ऐसी आ रही है जिसका कनेक्शन 1983 की विश्व कप विजेता टीम से। मगर इस फिल्म की कहानी बिहार में राजनीति का शिकार हुए क्रिकेट की है। यह फ़िल्म है कीर्ति आजाद की रियल इंसिडेंट पर बेस्ड – ‘किरकेट’, जो 18 अक्टूबर से सिनेमाघरों में होगी। उससे पहले फ़िल्म में विकेटकीपर बल्लेबाज की भूमिका में नज़र आने वाले शहाबुद्दीन यानी वर्सटाइल एक्टर देव सिंह ने फ़िल्म 'किरकेट' को प्राउड करने वाली फिल्म बताया है। उन्होंने कहा है कि न सिर्फ बिहार, बल्कि उन हर राज्यों से जुड़ता है, जहां क्रिकेट एसोसिएशन या तो नहीं है, या राजनीति का शिकार है।
देव सिंह ने फ़िल्म 'किरकेट' को लेकर कहा कि इस फ़िल्म की कहानी राजनीति की भेंट चढ़ी बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की है, जिसने सबा करीम, महेंद्र सिंह धोनी, ईशान किशन जैसे महान क्रिकेटर को खो दिया। इसके अलावा और कई टैलेंट बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता नहीं मिलने की वजह से गुमनामियों में रह गयी। इसकी टीस कहीं न कहीं कीर्ति आजाद में थी और कई बार उनको इस वजह से अपमानित भी होना पड़ा था। जिसके बाद उन्होंने अपमान को सम्मान में बदलने के लिए अपने स्तर से संघर्ष किया। यह फ़िल्म उनकी ही रियल कहानी है, जो बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को सही मायनों में जिंदा करना चाहते हैं। ताकि बिहारी प्रतिभा को दूसरे राज्यों के लिए मोहताज न होना पड़े।
देव सिंह इस फ़िल्म में सिवान के शहाबुद्दीन की भूमिका में नज़र आने वाले हैं। इसको लेकर वे कहते हैं, ' फ़िल्म में मेरा किरदार काफी स्ट्रांग है। मैं रियल लाइफ में पेस बॉलर हूं, जब भी सेलिब्रिटी लीग खेलता हूं। लेकिन मुझे इस फ़िल्म में योगेंद्र सिंह ने विकेट कीपर बल्लेबाज के रूप में कास्ट किया। खैर मैंने इसे चाईलेंज के रूप में लिया और उसके लिए तैयारियां भी की। उन्होंने बताया कि जब हम फ़िल्म की तैयारी कर रहे थे, उस वक़्त क्रिकेटर अतुल वासन सेट पर आए। तब हम ड्यूज बॉल से प्रैक्टिस कर रहे थे। इससे पहले मैंने कभी कीपिंग नहीं की थी, तो कई बार बॉल मेरे ग्लव्स से भी छूट जा रहे थे। यह देख अतुल वासन ने कहा कि ये विकेटकीपर है क्या ?
देव सिंह की मानें तो बिहार में हमेशा जिसकी लाठी, उसका भैंस की परंपरा रही है, जो खेल और कला के विकास के लिए सही नहीं है। मेरा मानना है कि प्रतिभा को कभी बांध कर रखना नहीं चाहिए। अगर समय रहते बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को दर्जा मिलता तो आज बिहार के कई क्रिकेट नेशनल टीम के प्लेइंग इलेवन में होते। इसलिए यह फ़िल्म हर स्पोर्ट्स लवर की फ़िल्म है। यह दर्शकों को अपमान से सम्मान तक की जर्नी से रूबरू करवाएगी और दर्शक फ़िल्म देख कर प्राउड फील करेंगे। फ़िल्म 'किरकेट' बिहारी सम्मान को नई दिशा देगी।
आपको बता दें कि फिल्म 'किरकेट' का निर्माण येन मूवीज ने ए स्क्वायर प्रोडक्शंस, धर्मराज फिल्म्स और जे के एम फिल्म्स के सहयोग से की गई है। इसके निर्माता आर के जलान, सोनू झा और विशाल तिवारी ,सह निर्माता यूसुफ शेख है। जबकि फिल्म को योंगेंद्र सिंह ने डायरेक्ट किया है। कीर्ति आजाद और देव सिंह के अलावा फिल्म में विशाल तिवारी, सोनम छाबड़ा, सोनू झा, सैफल्ला रहमानी, अजय उपाध्याय, रोहित सिंह मटरू जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं। पीआरओ रंजन सिन्हा हैं।
यूं तो 1983 की थीम पर इन दिनों बॉलीवुड की आने वाली दो फिल्में बेहद चर्चे में हैं, लेकिन एक और हिंदी फ़िल्म ऐसी आ रही है जिसका कनेक्शन 1983 की विश्व कप विजेता टीम से। मगर इस फिल्म की कहानी बिहार में राजनीति का शिकार हुए क्रिकेट की है। यह फ़िल्म है कीर्ति आजाद की रियल इंसिडेंट पर बेस्ड – ‘किरकेट’, जो 18 अक्टूबर से सिनेमाघरों में होगी। उससे पहले फ़िल्म में विकेटकीपर बल्लेबाज की भूमिका में नज़र आने वाले शहाबुद्दीन यानी वर्सटाइल एक्टर देव सिंह ने फ़िल्म 'किरकेट' को प्राउड करने वाली फिल्म बताया है। उन्होंने कहा है कि न सिर्फ बिहार, बल्कि उन हर राज्यों से जुड़ता है, जहां क्रिकेट एसोसिएशन या तो नहीं है, या राजनीति का शिकार है।
देव सिंह ने फ़िल्म 'किरकेट' को लेकर कहा कि इस फ़िल्म की कहानी राजनीति की भेंट चढ़ी बिहार क्रिकेट एसोसिएशन की है, जिसने सबा करीम, महेंद्र सिंह धोनी, ईशान किशन जैसे महान क्रिकेटर को खो दिया। इसके अलावा और कई टैलेंट बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को मान्यता नहीं मिलने की वजह से गुमनामियों में रह गयी। इसकी टीस कहीं न कहीं कीर्ति आजाद में थी और कई बार उनको इस वजह से अपमानित भी होना पड़ा था। जिसके बाद उन्होंने अपमान को सम्मान में बदलने के लिए अपने स्तर से संघर्ष किया। यह फ़िल्म उनकी ही रियल कहानी है, जो बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को सही मायनों में जिंदा करना चाहते हैं। ताकि बिहारी प्रतिभा को दूसरे राज्यों के लिए मोहताज न होना पड़े।
देव सिंह इस फ़िल्म में सिवान के शहाबुद्दीन की भूमिका में नज़र आने वाले हैं। इसको लेकर वे कहते हैं, ' फ़िल्म में मेरा किरदार काफी स्ट्रांग है। मैं रियल लाइफ में पेस बॉलर हूं, जब भी सेलिब्रिटी लीग खेलता हूं। लेकिन मुझे इस फ़िल्म में योगेंद्र सिंह ने विकेट कीपर बल्लेबाज के रूप में कास्ट किया। खैर मैंने इसे चाईलेंज के रूप में लिया और उसके लिए तैयारियां भी की। उन्होंने बताया कि जब हम फ़िल्म की तैयारी कर रहे थे, उस वक़्त क्रिकेटर अतुल वासन सेट पर आए। तब हम ड्यूज बॉल से प्रैक्टिस कर रहे थे। इससे पहले मैंने कभी कीपिंग नहीं की थी, तो कई बार बॉल मेरे ग्लव्स से भी छूट जा रहे थे। यह देख अतुल वासन ने कहा कि ये विकेटकीपर है क्या ?
देव सिंह की मानें तो बिहार में हमेशा जिसकी लाठी, उसका भैंस की परंपरा रही है, जो खेल और कला के विकास के लिए सही नहीं है। मेरा मानना है कि प्रतिभा को कभी बांध कर रखना नहीं चाहिए। अगर समय रहते बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को दर्जा मिलता तो आज बिहार के कई क्रिकेट नेशनल टीम के प्लेइंग इलेवन में होते। इसलिए यह फ़िल्म हर स्पोर्ट्स लवर की फ़िल्म है। यह दर्शकों को अपमान से सम्मान तक की जर्नी से रूबरू करवाएगी और दर्शक फ़िल्म देख कर प्राउड फील करेंगे। फ़िल्म 'किरकेट' बिहारी सम्मान को नई दिशा देगी।
आपको बता दें कि फिल्म 'किरकेट' का निर्माण येन मूवीज ने ए स्क्वायर प्रोडक्शंस, धर्मराज फिल्म्स और जे के एम फिल्म्स के सहयोग से की गई है। इसके निर्माता आर के जलान, सोनू झा और विशाल तिवारी ,सह निर्माता यूसुफ शेख है। जबकि फिल्म को योंगेंद्र सिंह ने डायरेक्ट किया है। कीर्ति आजाद और देव सिंह के अलावा फिल्म में विशाल तिवारी, सोनम छाबड़ा, सोनू झा, सैफल्ला रहमानी, अजय उपाध्याय, रोहित सिंह मटरू जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं। पीआरओ रंजन सिन्हा हैं।